27 शोधकताओं को मिला यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड, 180 से ज्यादा विद्यार्थी देश में कही भी रिसर्च कर सकेंगे

27 शोधकताओं को मिला यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड, 180 से ज्यादा विद्यार्थी देश में कही भी रिसर्च कर सकेंगे


इंदौर / गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी संस्थान (जीएसआईटीएस) में 35वां युवा वैज्ञानिक कांग्रेस का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार को बेस्ट रिसर्च पेपर प्रस्तुत करने वाले शोधकर्ताओं को पुरस्कार वितरित किए गए। वैज्ञानिक कांग्रेस में 207 पेपर पढ़े गए थे। इसमें से 180 से ज्यादा विद्यार्थियों को फैलोशिप दी गई। इसके तहत विद्यार्थी देश के किसी भी संस्थान में रिसर्च कर सकेंगे। 27 विद्यार्थियों को यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से नवाजा गया। इन्हें 25, 20 और 15 हजार के नगद पुरस्कार वितरित किए गए। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की कुलपति रेणु जैन थी। अवॉर्ड प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने एग्रीकल्चर, साइकोलॉजी, फार्मा सहित 19 विषयों में रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।


युवाओं का कम्यूनिकेशन सुधरेगा तो बढ़ेगा आत्मविश्वास


 

सागर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी विषय पर रिसर्च कर रहे वकार मकबूल को पहला पुरस्कार दिया गया। वकार ने युवाओं की कम्यूनिकेशन पर रिसर्च की है। उन्होंने बताया कि मैं कश्मीर में रहता था। वहां के कॉलेज में अक्सर विद्यार्थियों को गर्दन झुकाकर चलते हुए देखता था। एक दिन उनसे पूछा कि ऐसा क्यों चलते हो तो कहा कि बड़ी उम्र के लोगों को सम्मान देना पड़ता है। इसके बाद 40 और विद्यार्थियों से बात की गई तो पता लगा कि युवाओं को पता नहीं होता है कि उन्हें किस तरह का कम्यूनिकेशन अपनाना चाहिए। कई युवाओं को अपनी बात रखना नहीं आती है। किसी को बिना बुरा लगे बात कह दी जाए, ऐसी कम्यूनिकेशन भी बहुत कम लोगों की होती है। वकार का कहना है कि अगर कम्यूनिकेशन और बोलचाल का सही तरीका हमें पता होता है तो इसका असर आत्मविश्वास पर पड़ता है। इसे सुधारने के लिए ट्रेनिंग मॉडयूअल भी वकार ने तैयार किया है। वकार का कहना है कि इस तरह की साइकोलॉजी संबंधित रिसर्च विदेशों में होती रहती है, लेकिन भारत में यह बहुत कम जगह हो रही है। रिसर्च करने के बाद अब मैं सभी से कहता हूं कि अगर किसी को कोई बात बोलना है तो मन में रखे। चाहे सामने वाले को बुरा लगे, लेकिन अपने मन की बात कह दे। जो लोग ऐसा करते हैं, उनके सफल होने की संभावना ज्यादा होती है।


बैक्टीरिया के पॉथवे को समझने से दवा बनाने में आसानी होगी


भोपाल की वर्षा पाटिल को भी लाइफसाइंस कैटेगिरी में फर्स्ट अवॉर्ड दिया गया है। वर्षा ने बताया कि उन्होंने रिसर्च में बैक्टीरिया के पॉथवे को पहचानने में सफलता पाई है। हमारी बॉडी में बैक्टीरिया किस तरह से बीमारियों को जन्म देता है, यह पता लग जाने से दवा बनाना आसान हो जाता है। बैक्टीरिया के नेचर को समझने से भविष्य में यह किस तरह के नुकसान बॉडी में पहुंचा सकते हैं, इस बारे में भी जानकारी निकाली जा सकती है।


योगेश राठी ने प्लांट साइंस पर काम किया है। उन्होंने पौधों के ऐसे बीज तैयार किए हैं, जो कम से कम पानी या नमक के पानी में भी बड़े हो सकते हैं। योगेश ने बताया हमने पौधों के बीज बनाने के पहले उनमें पाए जाने वाले सभी तत्वों की जानकारी निकाली। हमने कई प्रयोग किए। इससे किसी भी मौसम में उक्त पौधे को उपजाया जा सकता है। इस रिसर्च के लिए योगेश को यंग साइंटिस्ट का अवॉर्ड दिया गया। कार्यक्रम में कुलपति रेणु जैन ने युवाओं को रिसर्च पर लगातार काम करने की बात कही। संस्थान के निदेशक डॉ. आरके सक्सेना ने कहा इस तरह के कार्यक्रम से अन्य विद्यार्थी भी रिसर्च क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. जेटी एंड्रूज ने कहा 19 विषयों में रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए थे। खास बात यह रही कि इसमें 65 फीसदी भागीदारी लड़कियों की रही।