निष्प्राण हो रही वैदिक और समृद्ध संस्कार की परंपरा

निष्प्राण हो रही वैदिक और समृद्ध संस्कार की परंपरा


इंदौर। आज परिवारों में अशांति और कलह का मुख्य कारण ऋषियों द्वारा बताई गई जीवन पद्धति से मुंह मोड़ना है। धीरे-धीरे भारतीय वैदिक और समृद्ध संस्कार परंपरा निष्प्राण हो रही है। इस परंपरा में व्यक्ति और परिवार के सूत्र थे। दैनिक सामूहिक साधना का क्रम, प्रातःकालीन सूर्य अर्घ्य दान, तुलसी कानन की स्थापना और योग प्राणायाम का प्रचलन समाप्त होने से परिवार बिखरते चले जा रहे हैं।


यह बात शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे आचार्य योगीराज ने शनिवार को बाणगंगा रोड स्थित मुखर्जी नगर में कही। वे अखिल विश्व गायत्री परिवार इंदौर के तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ और प्रज्ञा पुराण कथा के तीसरे दिन संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर दीप महायज्ञ में भक्तों ने दीपों से गायत्री माता की आरती कर विश्व में शांति और समृद्धि की मंगल कामना की। इस मौके पर सिद्धार्थ सराठे, गोपाल निगम, मुन्नाा कश्यप आदि मौजूद थे।