श्रीराम की तरह मैं भी तरकश में से तीर निकालूंगा : प्रद्युम्न सिंह

श्रीराम की तरह मैं भी तरकश में से तीर निकालूंगा : प्रद्युम्न सिंह


भोपाल । खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने ग्वालियर में एक अधिकारी के पैर छूने को सही करार दिया है। वे अपने आपको भगवान राम का अनुयायी बताते हुए कहते हैं कि जिस तरह श्रीराम ने समुद्र से पहले प्रार्थना की थी और जब रास्ता नहीं दिया तो तीर निकाला था। उसी तरह मैंने अभी प्रार्थना की है। अगर सफाई सही नहीं हुई तो तरकश में से तीर निकालकर चलाने से नहीं चूकेंगे। तोमर ने नईदुनिया से चर्चा में यह टिप्पणी की है। पेश है तोमर से बातचीत के अंश...।


पैर छूने के पीछे मंशा क्या थी?


तोमर : सरकार की मंशा है कि गरीबों की योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से हो। पैर छूने के लिए क्रियान्वयन कराने वाले अधिकारी को काम के लिए प्रेरित करना था।


उनके काम में सुधार हुआ क्या?


तोमर : मैं तो राम का अनुयायी हूं। श्रीराम ने समुद्र से भी रास्ता देने के लिए प्रार्थना की थी और रास्ता नहीं मिला तो उन्होंने तीर निकाल लिया था। मैंने भी शहर के लिए अधिकारी से प्रार्थना की। अब सुधार नहीं हुआ तो तरकश से तीर निकालूंगा।


 

पैर छूना मंत्री पद की गरिमा के अनुकूल है या प्रतिकूल?


तोमर : योजनाओं, स्वच्छता व प्रदूषणमुक्त कराने के क्रियान्वयन के लिए किसी भी स्तर तक कदम उठा सकते हैं।


पांव छूना पद की गरिमा के अनुकूल नहीं


मध्य प्रदेश में खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा एक सरकारी अधिकारी के पैर छूने की घटना को लेकर सियासत में नई बहस छिड़ गई है। यह पहला वाकया नहीं, जब मध्य प्रदेश में मंत्रियों को अधिकारियों की कार्यप्रणाली की वजह से असहज होना पड़ा। तोमर की अधिकारी के प्रति नाराजगी की वजह गृह नगर ग्वालियर की सफाई व्यवस्था के प्रति लापरवाही थी, जिसके लिए वे बेहद चिंतित रहते हैं और खुद भी कई बार नालियों में उतरकर सफाई कर चुके हैं। अधिकारी के पैर छूने की घटना पर कमलनाथ मंत्रिमंडल के उनके ही साथी मंत्री उनके कृत्य को पद की गरिमा के अनुकूल नहीं मानते हैं।


 

पहले काम लें फिर शिकायत : लाखन सिंह यादव


पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा कि किसी भी मंत्री को अधिकारी के पैर नहीं छूने चाहिए। अगर कोई अधिकारी काम नहीं कर रहा है तो उससे पहले काम लेना चाहिए और उसके काम नहीं करने पर वरिष्ठ अधिकारी से नोटिस दिलवाना चाहिए। इसके बाद भी काम में सुधार नहीं हो तो निलंबित किया जाए। यादव ने कहा कि उनके विभाग के अधिकारियों से वे इसी तरह काम लेते। काम नहीं करने वालों को सेवा से पृथक करने की भी कार्रवाई करवाते, लेकिन किसी अधिकारी के पैर नहीं छूते। यह मंत्री पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है।


अधिकारी को निलंबित करना चाहिए : पीसी शर्मा


जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने इस मामले पर कहा कि ग्वालियर के उस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उसका निलंबन हो।


मुझसे प्रतिक्रिया न मांगें : हुकुम सिंह कराड़ा


जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा ने प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया। वे बोले, वह (तोमर) मेरे समकक्ष मंत्री हैं। उन्होंने किन परिस्थितियों में ऐसा क्यों किया, इस बारे में मुझसे कुछ भी न पूछें।


काम लें वर्ना सख्त कार्रवाई करें : डॉ. गोविंद सिंह


प्रदेश के सामान्य प्रशासन और सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि इस घटना पर मुझे बहुत खेद है। मंत्री होकर किसी अधिकारी का पैर पड़ना गलत है। मप्र की जनता ने कितने मानसम्मान के साथ हमें सरकार की बागडोर सौंपी है। किसी अधिकारी का कामकाज यदि ठीक नहीं है तो प्रभारी मंत्री के नाते उसके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई कर सकते हैं। अधिकारी का बर्ताव अच्छा नहीं है, लगातार लापरवाही करता है तो उसके खिलाफ विभागीय जांच कराकर शासन उसे नौकरी से बर्खास्त भी कर सकता है, लेकिन मंत्री तोमर ने गांधीगिरी दिखाई या फिर और कुछ, मैं इसे उचित नहीं मानता।


सबक सिखाने सीएम को शिकायत करें : बाला बच्चन


गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा कि जनता के हित के काम करने से रोकने का अधिकार न तो मंत्री को हो और न ही किसी अधिकारी को है। अगर कोई अधिकारी जनहितैषी काम करने में आनाकानी करता है या विलंब करता है तो उसे सबक सिखाने के लिए मुख्यमंत्री को शिकायत करना चाहिए। अधिकारियों की मंशा जनहित के काम में बाधा डालने की है तो उनके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए। ऐसा कौन-सा अधिकारी है, जिसने मंत्री को इतना मजबूर कर दिया कि उन्हें पैर छूना पड़ रहे हैं, उसकी मुख्यमंत्री को शिकायत करेंगे। वहीं कृषि मंत्री सचिन यादव ने घटना की जानकारी न होने का हवाला देते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।