'शुद्ध कल्याण' से सजी 'धानी' से शोभित संगीत सभा

'शुद्ध कल्याण' से सजी 'धानी' से शोभित संगीत सभा


इंदौर।ये दो सुघड़ कला साधकों द्वारा अपनी-अपनी कला की सुंदर बानगी पेश करने वाली शास्त्रीय संगीत महफिल थी। राग 'धानी' की सुमनोहर बंदिशों से शहर की ख्यात गायिका शोभा चौधरी ने जो भावभूमि रची उसे 'शुद्ध कल्याण' की गायकी अंग की बांसुरी की सुरीली स्वरलहरियों से सिंचित कर प्रवीण गोड़खिंडी ने वातावरण में सात्विकता और सकारात्मकता घोल दी। बात हो रही है शनिवार शाम जाल सभागार में शुरू हुए तीन दिनी 'गुनीजान संगीत समारोह' के पहले दिन की। जिसकी शुरुआत आयोजक संस्था 'पंचम निषाद' के कलाकारों ने शंकराचार्य कृत गणेश वंदना और सरस्वती स्तुति की प्रस्तुति के साथ की।


'ए सब मिल गावें गुन उन्हीं के ...'


इसके बाद मंच पर नमूदार शोभा चौधरी ने अपनी पेशकश के लिए एक ऐसे राग 'धानी' का चयन किया जिसे सामान्यतः लाइट अंग की गायकी का राग कहा जाता है क्योंकि इसमें विलंबित बंदिशें बमुश्किल ही मिलती हैं। लेकिन गायिका ने न केवल इस राग की विलंबित लय की बंदिश पेश की, बल्कि उसी के जोड़ की मध्य लय बंदिश भी सुनाई। दोनों बंदिशों के बोल गौर फरमाइए। 'ए सब मिल गावें गुन उन्हीं के, जा बिन कछु न हिले, समझत न तोहे कैसे समझाऊं जो उन चाहे कर ही लेत सबसे या जग में' के बाद इसी जोड़ की बंदिश 'मनवा तुम न जानो हो मेहमान दो दिन के या जगम में' ने खूब रंग जमाया। ये दोनों बंदिशें मशहूर गायक पंडित सीआर व्यास द्वारा रचित थीं। इसके बाद उन्होंने आगामी होली और रंगपंचमी के मद्देनजर 14 मात्रा के ताल दीपचंदी में निबद्ध होरी 'होली खेलन कैसे जाऊं री गुइयां' पेश कर महफिल में एक नया रंग घोल दिया।


 

गायकी अंग के बाद बानगी तंत्रकारी की


राग 'शुद्ध कल्याण' में आलाप के बाद विलंबित एक ताल और द्रुत तीन ताल की बंदिशों की उत्कृष्ट बानगी पेश करते हुए प्रवीण गोड़खिंडी ने दर्शाया कि किराना घराने के बांसुरी वादन में गायकी अंग को कितनी खूबसूरती से सजाया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने राग 'रागेश्री' में तंत्रकारी और लयकारी का सुंदर नमूना पेश किया। उनकी बजाई मिश्र पहाड़ी की धुन संगीत मर्मज्ञों के साथ-साथ अन्य श्रोताओं को लुभाने में भी सफल रही। इन कलाकारों के साथ तबले पर संगत हितेंद्र दीक्षित, माधव मोंडक और मुकेश रासगाया जैसे संगतकारों ने की। हारमोनियम पर अपनी जिम्मेदारी विवेक बंसोड़ और मिहिर गर्ग ने निभाई। इस मौके पर मुख्य अतिथि मशहूर संतूर वादक पंडित सतीश व्यास ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।


 

विदुषी प्रभा अत्रे का गायन आज


आयोजन के दूसरे दिन रविवार शाम की सभा का मुख्य आकर्षण देश की श्रेष्ठ गायिका विदुषी प्रभा अत्रे होंगी। इससे पहले शुरुआत ख्यात वायलिन वादक कमल कामले के वायलिन वादन से होगी। उनका साथ पुत्र-शिष्य अनुराग कामले निभाएंगे। इन कलाकारों के साथ संगत उल्हास राजहंस, यशवंत वैष्णव और डॉ. मोहन मुंग्रे जैसे कलाकार करेंगे।