भाजपा खेल सकती है दलित आदिवासी कार्ड

भाजपा खेल सकती है दलित आदिवासी कार्ड


भोपाल । विधानसभा के बजट सत्र और राज्य सभा निर्वाचन से पहले भाजपा में अचानक हलचल तेज हो गई है। एक ही दिन में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की अलग-अलग बंद कमरे में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव से हुई मुलाकातों ने कई तरह की अटकलों को बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि इस दौरान भाजपा में किसी बड़ी रणनीति पर मंथन किया जा रहा है। गौरतलब है कि इसी माह में 16 तारीख से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है जो 13 अप्रैल तक चलेगा। सत्र के बीच ही 26 मार्च को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए निर्वाचन भी होना है। विधायकों की संख्या के हिसाब से बीजेपी और कांग्रेस के पास एक-एक सीट आना पूरी तरह से तय है लेकिन तीसरी सीट के लिए दोनों पार्टियों को अन्य विधायकों की मदद की जरूरत होगी। हालांकि संख्या बल के आधार पर तीसरी सीट भी कांग्रेस को मिलनी तय मानी जा रही है। इस बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा साफतौर पर कह चुके हैं कि वो तीसरी सीट के लिए कांग्रेस को वॉकओवर नहीं देगी। ऐसे में माना जा रहा है कि तीसरी सीट के लिए बीजेपी अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश की सियासी तस्वीर दिलचस्प हो सकती है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ बैठक कर खास रणनीति बना रहे रहे हैं। यही वजह है कि अब सभी की निगाहें बजट सत्र के साथ ही राज्यसभा के निर्वाचन पर लग गई है। उधर माना जा रहा है कि इस दौरान इन नेताओं के बीच राज्य सभा प्रत्याशियों के नामों पर भी चर्चा की गई है। इनमें रंजना बघेल और लाल सिंह आर्य के नाम शामिल हैं। श्रीमति बघेल आदिवासी तो श्री आर्य दलित समुदाय से आते हैं। भाजपा इन्हें प्रत्याशी बनाकर दलित आदिवासी कार्ड खेल सकती है। इसके अलावा प्रभात झा की भी दावेदारी पहले से बनी हुई है।
कांगे्रस से कई मौकों पर मात खा चुकी है भाजपा
हाल ही में शुरु हुई सियासती अटकलों के बीच माना जा रहा है कि पार्टी ने प्रदेश में अतीत से सबक लेकर अभी से बड़ी रणनीति पर काम शुरु कर दिया है। वजह है प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद विधानसभा में जितनी बार भी बहुमत की स्थिति बनी , हर बार कांग्रेस के हाथों उसे मात खानी पड़ी है। फिर मामला विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन का हो या फिर विधेयक पर मतविभाजन का। दरअसल प्रदेश में कांगे्रस की सरकार बनने के बाद स्पीकर के चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार उतार दिया था जिससे नाराज कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर के पद पर बीजेपी उम्मीदवार के विरोध में अपना उम्मीदवार उतार दिया था। नतीजा परंपरा के खिलाफ विधानसभा में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों पदों पर कांग्रेस उम्मीदवार चुने गए। इसी तरह से मानसून सत्र में एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान बीजेपी के दो विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट कर बड़ा झटका दिया था। जिसकी वजह से एक बार फिर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। यही वजह है कि बीजेपी राज्यसभा चुनाव के दौरान तीसरी सीट पर अपना उम्मीदवार उतारती है तो तस्वीर आखिर क्या होगी?
यह है मौजूदा सीटों का गणित
सीटों का गणित देखें तो दोनों पार्टियों को बहुमत के आधार पर एक-एक सीट मिलना तय है, लेकिन तीसरी सीट को लेकर पेंच फंसने की संभावना है। अगर निर्वाचन निर्विरोध नहीं हुआ तो मतदान की स्थिति बनना तय है। ऐसे में विधाकों की संख्या के मान से एक सदस्य के लिए 58 विधायकों के तम जरूरी है। दो सीटों में एक बीजेपी और दूसरी कांग्रेस को मिलेगी, लेकिन तीसरी सीट के लिए कांग्रेस के 56 और बीजेपी के पास 50 विधायक ही रह जाएंगे। ऐसे में कांग्रेस को दो वोट जुटाने होंगे, तो बीजेपी को आठ वोट की व्यवस्था करनी होगी। हालांकि अभी दो विधायकों के निधन की वजह से फिलहाल विधानसभा की दो सीटें खाली हैं।