छह माह पहले ट्रांसप्लांट किए पेड़ों पर अब फूट रही कोपलें

छह माह पहले ट्रांसप्लांट किए पेड़ों पर अब फूट रही कोपलें


इंदौर। मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए पांच से छह माह पहले चंद्रगुप्त चौराहे से रेडिसन चौराहे तक ट्रांसप्लांट किए गए 355 पेड़ों पर अब कोपलें फूट रही हैं। नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि अभी तक जितने भी पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया, उनमें से 90 प्रतिशत का ट्रांसप्लांटेशन सफल रहा है। हालांकि अगले दो-तीन महीने गर्मी होने से इन पेड़ों को विशेष देखरेख की जरूरत होगी। इन्हें समय पर पानी भी देना होगा, ताकि ये अगली बारिश तक जीवित रह सकें।


निगम ने एमआर-10 स्थित चंद्रग्रुप्त चौराहा से लेकर बापट चौराहा, विजय नगर चौराहा और रेडिसन चौराहा के बीच 482 में से 355 पेड़ों को हटाया था। इन्हें शारदा मठ, लवकुश विहार कॉलोनी के डिवाइडर, बापट चौराहे से नक्षत्र वाले डिवाइडर, मेदांता हॉस्पिटल के सामने बने डिवाइडर और रेडिसन से रॉबर्ट चौराहे के बीच ग्रीन बेल्ट पर ट्रांसप्लांट किया गया था। इनमें बादाम, केसिया, गुलमोहर, चंपा, नीम, करंज, बबूल, पीपल के पेड़ शामिल हैं। मेट्रो का एक स्टेशन बापट चौराहे पर भारत माता मंदिर के स्थान पर बनाया जाना है। यहां से 11 केवी की हाईटेंशन लाइन भी जा रही है, जिसे शिफ्ट किया जाएगा। यही वजह है कि अभी इस चौराहे पर बाकी 127 पेड़ों को ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सका है। मेट्रो प्रोजेक्ट की एजेंसी ने 28 लाख रुपए में इन पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने का जिम्मा निगम को सौंपा था। इसमें से अभी तक 18 लाख रुपए का भुगतान निगम को हो चुका है। निगम ने ट्रांसप्लांटेशन में 70 प्रतिशत पेड़ों को जीवित बचाने की शर्त भी रखी है। इसके बाद ही ठेकेदार को पूरा भुगतान होगा। इसके अलावा जितने पेड़ ट्रांसप्लांट किए जाएंगे, उतने 10 फीट के छोटे पौधे भी लगाए जाएंगे।


 

ट्रांसप्लांट से एक-दो महीने पहले की गई छंटाई


निगम के उद्यान विभाग के सुपरवाइजर पवन राठौर के मुताबिक पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने से एक-दो महीने पहले इनकी छंटाई की गई। सात से आठ दिन जड़ों को हार्मोंस देने और पिंड बांधने में लगे। इसके बाद हाइड्रा व जेसीबी मशीन से इन पेड़ों को दूसरे स्थान पर रोपित किया गया। उक्त स्थान पर हार्मोंस, शकर का घोल और कीटनाशक डाले गए। इस प्रक्रिया के दौरान हार्टिकल्चर और एग्रीकल्चर विशेषज्ञों की मदद भी ली गई।


मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए निगम ने अभी तक जिन पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया है, उनमें से 90 फीसदी सुरक्षित हैं और उनमें कोपलें फूट रही हैं। गर्मी के दौरान इन पेड़ों को लगातार पानी देने की आवश्यकता होगी। गर्मी में इनकी विशेष देखरेख करेंगे, ताकि अगली बारिश तक अधिकांश पेड़ जीवित रह सकें।


-कैलाश जोशी, उपायुक्त, उद्यान विभाग, नगर निगम