मंदिरों में फाग गायन शुरू, प्रतिदिन भक्तों के साथ गुलाल से होली खेल रहे हैं ठाकुरजी
भोपाल । उमंग-तरंग और उत्साह का पर्व होली को लेकर लोगों को एक साल से इंतजार रहता है, उस पर्व की शुरुआत हो चुकी है। शहर के श्री राधा-कृष्ण मंदिरों में होली उत्सव को फूलों की होली खेलकर और फाग गायन के साथ मनाया जा रहा है।
लखेरापुरा स्थित पुष्टि मार्गीय श्रीजी के मंदिर में 40 दिवसीय होली उत्सव अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। यहां बसंत पंचमी से प्रतिदिन ठाकुर जी भक्तों के साथ गुलाल से होली खेल रहे हैं। मंदिर में शनिवार को फूल, गुलाल से होली खेली और यमुनाष्टक का पाठ हुआ। इस दौरान वैष्णजनों ने धमार राग में रसिया (कीर्तन) गाए। पूजा के दौरान श्रीजी को सूखा मेवा, मठरी, मोहनथाल, दहीबड़े, श्रीखंड आदि भोग लगाया। आयोजन के समापन पर ठंडाई की प्रसादी वितरित की गई। श्रीजी का मंदिर (पुष्टिमार्गीय हवेली) के मुखिया श्रीकांत शर्मा ने बताया कि होली प्रभु श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय त्यौहार है। इसलिए मंदिर में इसे 40 दिनों तक विशेष रूप से मनाया जाता है। भक्त और भगवान के बीच की दूरी कम करने के लिए उनके चरणारविंद को वस्त्र से ढंका जाता है। इससे स्वामी और सेवक का भाव खत्म हो जाता है। बता दें कि होली का खेल बराबरी वालों से होता है, इसलिए भक्त और भगवान के बीच की दूरी खत्म कर दी जाती है। उत्सव के दौरान विशेष दिनों में प्रभु श्रीनाथ जी का मुकुट काछली का श्रृंगार और सफेद रंग के सूती कपड़े पहनाए जाते हैं। ठाकुर जी की कमर पर गुलाल की पोटली बांधी जाती है। शयन के दौरान भी गुलाल की यह पोटली ठाकुर जी के पास ही रखी जाती है।
पूर्णिमा के दिन 15 रंगों से खेलेंगे होली
जैसे-जैसे उत्सव नजदीकी आता जा रहा है, वैसे-वैसे प्रभु जी के रंग बदलते जा रहे हैं। प्रभु श्रीनाथजी को चंदन गुलाल, अबीर और चोवा इन चारों से विशेष तौर पर होली खिलाई जाती है। गुलाल श्री ललिता जी के भाव से, अबीर विशाखा जी, चोवा श्री यमुना जी और चंदन श्री स्वामी जी के भाव से प्रभु को होली खिलाई जाती है। सप्तमी के दिन प्रभु श्रीनाथ जी के पाटो उत्सव के दिन सात रंग, नवमीं के दिन प्रभु बगीचे में विराजेंगे और 9 रंगों से होली खेलेंगे। रंगभरी ग्यारस के दिन प्रभु कुंज में विराजेंगे। इस दिन 11 रंग होली उत्सव में दिखाई देंगे। पूर्णिमा और डोल उत्सव के दिन प्रभु जी 15 रंगों और टेसू के पुष्पों से निर्मित रंग उत्सव में शामिल रहेंगे।